विधुत धारा की किस्मे (Types of Electric Current)

 विधुत धारा की किस्मे (Type of Electric Current)

विधुत धारा मुख्यतः निम्न दो प्रकार की होती हैं -

(अ) डी० सी०   (Direct Current)

(ब) ए० सी०  (Alternating current)



(अ) डी० सी०  (Direct Current):

जिस विधुत धारा का मान और दिशा नियत रहती है वह डी सी धारा कहलाती है यह सैल , बैट्री ,जेनेरटर आदि से प्राप्त की जाती है इसका उपयोग इलेक्ट्रोप्लेटिंग , आर्क वेल्डिंग ,बैट्री चार्जिंग , इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रचलन आदि में किया जाता है। 

(ब) ए० सी०  (Alternating Current): 

जिस विधुत धारा का मान और दिशा एक नियत दर पर परिवर्तित होते रहती है वह ए सी धारा कहलाती है यह आल्टेरनेटर (ए. सी. जनरेटर) से प्राप्त की जाती है इसका उपयोग घरेलू , आद्यौगिक आदि क्षेत्रों में प्रकाश , ऊष्मा , ठंडक यांत्रिकी ऊर्जा आदि प्रदान करने वाले उपकरणों को प्रचलित करने के लिए किया जाता हैं। 

विधुत धारा के प्रभाव (Effects of Electric current)

(१) ऊष्मीय प्रभाव (Heating Effect)

(२) चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effect)

(३) रासायनिक प्रभाव (Chemical Effect)

(४) किरण प्रभाव (Ray Effect)

(५) गैस आयनीकरण प्रभाव (Gas Ionisation Effect)


(१) ऊष्मीय प्रभाव (Heating Effect):

प्र्त्येक चालक स्वयं में से होने वाले विधुत धारा प्रवाह का कम या अधिक विरोध करता है जिसके फलस्वरूप वह गर्म हो जाता है , यह विधुत धारा का उष्मीय प्रभाव कहलाता है इस प्रभाव का उपयोग इलेक्ट्रिक प्रैस ,इलेक्ट्रिक आयरन , हीटर ,बल्ब आदि में किया जाता है बल्ब तो ऊष्मा के साथ-साथ प्रकाश भी उतपन्न करता हैं। 

(२) चुंबकीय प्रभाव (Magnetic Effect) :

विधुत धारा वाही चालक के चारो ओर चुंबकीय क्षेत्र पैदा हो जाता है ,यह विधुत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहलाता है इस प्रभाव का उपयोग विधुत घंटी ,विधुत चुंबक , पंखा , मोटर , जनरेटर आदि में किया जाता है। 

(३) रासायनिक प्रभाव (Chemical Effect):

अम्लीय विलयनों में से विधुत धारा प्रवाहित करने पर विलयन में घुले प्रदार्थ अपने अवयवो में विभाजित हो जाते है , यह विधुत धारा का रासायनिक प्रभाव कहलाता है इस प्रभाव का उपयोग सैल, विधुतलेपन, धातु-निष्कर्षण आदि कार्यो में किया जाता है। 

(४) किरण प्रभाव (Ray Effect) :

जब अधिक वोल्टता एवं अधिक फ्रीक्वेंसी वाली विधुत धारा वायु-शून्य नली में से प्रवाहित की जाती है तो एक विशेष प्रकार की किरणे एक्स रे पैदा होती है यह विधुत धारा का किरण प्रभाव कहलाता हैं इस प्रभाव का उपयोग  चिकित्सा क्षेत्र में हड्डियों की छाया चित्र प्राप्त करने के लिए किया जाता है। 

(५) गैस आयनीकरण  प्रभाव (Gas Ionisation Effect) :

किसी विसर्जन नलिका में भरी मरकरी वेपर गैस , सोडियम वेपर गैस आदि में से विधुत धरा प्रवाहित करने पर गैस का आयनीकरण हो जाता है ,यह विधुत धारा का आयनीकरण प्रभाव कहलाता है इस प्रभाव का उपयोग उच्च त्रीवता वाले बल्बों में किया जाता हैं। 

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद भी आपका कोई भी सवाल बचा है , तो आप हमसे कमेन्ट कर कब पुछ सकते हैं हम कोशिश करेंगे की आप के सवाल का जवाब जल्दी से जल्दी दिया जाए।